हमारे बारे में

mithila panting

हम मिथिलांगन के बारे में

मिथिलांगन केर उद्देश्य भारत मे एकटा सुसंगठित राष्ट्रीय मैथिली मंच बनब आ अपन भाषाविज्ञान केँ बढ़ावा देबाक लेल एकटा छत्र संगठन आ प्रमुख खिलाड़ीक रूप मे कार्य करबाक इच्छा रखैत अछि। मिथिलांगन अपन समाज के नव दिशा देबय चाहैत अछि। मिथिलांगन संस्थापकक मुख्य उद्देश्य मिथिलाक सांस्कृतिक, साहित्यिक, आ सामाजिक कार्य केँ प्रोत्साहित करब अछि। एहि मे एहन टीमक सदस्य शामिल छथि जे निस्वार्थ छथि आ मिथिलाक धरोहरक रक्षा लेल दिन-राति काज करैत छथि।

 

मिथिलांगन के अपन विस्तारित परिवार के लेल विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के इंतजाम करब बहुत नीक लगैत अछि किछु नाम लेबय लेल ओतय सरस्वती पूजा समारोह, नाटक, कवि सम्मेलन, कला प्रदर्शनी, भोजन प्रदर्शनी, इंडोर खेल मीट, आ विभिन्न कार्यशाला सब अछि।

मिथिलांगनक सदस्य लोकनि अपन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इंटरनेट पर मिथिलांगन मार्फत मैथिलीक प्रचार-प्रसारक अभिप्राय सँ अत्यधिक सक्रिय छथि, आ सदस्य लोकनि बातचीत आ विचार आ संसाधनक आदान-प्रदान लेल विभिन्न प्रतियोगिता आ फेसबुक लाइफक माध्यम सँ जुड़ल रहैत छथि।

 

मिथिलांगन के मानब अछि जे संस्कृति आ धरोहर के बचाबय के मतलब अछि अपन पहिचान के बचाबय के। मिथिलांगन के सहयोग स नव पीढ़ी के अपन जड़ आ संस्कृति के महत्व देबय सीखला स लाभान्वित होयत। परिवारक बंधन तखन मजगूत भ जाइत अछि जखन बच्चा अपन घरक भाषा बजैत अछि।

 

हमर भाषा आ संस्कृति हमरा सबके अपन पहिचान, अपन आत्मबोध के निर्माण आ निर्वाह में मदद करैत अछि – आ मिथिलांगन अपन दिव्य-स्वप्न के पालन करबाक लेल ओहि मार्ग पर अपना के समर्पित क चुकल अछि।

मिथिलांगन: एक परिचय

द्वारा – कमलेश कुमार दास (अध्यक्ष, मिथिलांगन)

हमरा मोन अछि जे मिथिलांगन जे सामाजिक, साहित्यिक, आ सांस्कृतिक संस्था अछि, एकर स्थापना वर्ष 1992 मे मिथिलाक किछु नवयुवक द्वारा एहि उद्देश्य सँ कयल गेल छल जे हम सब अपन मैथिली भाषाक रक्षाक लेल अपन मन, धन, आ शक्ति केँ त्याग कय सकब, साहित्य, एवं संस्कृति।

 

तखन की छल, जोश आ उत्साह सँ भरल ई समूह पूर्ण श्रद्धा आ लगन सँ अपन उद्देश्य पूरा करय लागल, आ किछुए दिन मे मिथिलांगनक रूप प्रकट भेल? मिथिलांगन दिन-राति चतुर्गुणानुसार प्रगति केलक।

 

सदस्यक बीच थोड़ेक सैद्धांतिक मतभेदक कारण मिथिलांगन प्रारम्भ मे कठिन चरण सँ गुजरल, मुदा अपन निस्वार्थ समर्पित टीमक अथक प्रयास सँ मिथिलांगन एहि संक्रमण सँ जल्दिये बाहर आबय मे सफल रहल। आइयो मिथिलांगन निस्वार्थ टीम बनि काज क रहल अछि। मिथिलांगन संस्थाक चर्चा आइ देश-विदेश मे होइत अछि। निस्वार्थ टीम भावना मिथिलांगन संस्थाक सफलताक मूल कारण अछि।

 

आशा करैत छी जे मिथिलांगनक भविष्यक युवा पीढ़ी एहि निस्वार्थ टीम भावनाक संग काज करत आ एकरा नव ऊँचाई पर पहुँचाओत। अगर हम मिथिलांगन के बारे में विस्तार स लिखब शुरू करब त पता नहि कतेक दिन लागत। मिथिलांगन के भावी युवा पीढ़ी के आगा आबय के आह्वान करैत हम एतहि समाप्त करैत छी।

कोना शुरू भेल मिथिलांगन

द्वारा – बिनिता मल्लिक

मिथिलांगन जखन कि एक दिस नाम सँ स्पष्ट अछि जे ई मिथिलाक स्वागत अछि, दोसर दिस एहि मे निहित संदेश सेहो बहुत सहजता सँ प्रसारित भऽ रहल अछि जे शब्द कोनो संधि सँ बनल अछि – मिथिला + अंगन जकर अर्थ अछि सब के एकजुट करय के काज करैत अछि. आइ 27 वर्षक बाद मिथिलांगन अपन अथक परिश्रम आ निरन्तर नवीनताक संग आगू बढैत अछि, एहि क्रम मे ओ अपन संस्कार, शिक्षा, आ उद्देश्य सँ नहि हटल अछि – ई कहबा मे हमरा कोनो संकोच नहि अछि। हम 1997 स मिथिलांगन स जुड़ल छी।

प्रारम्भिक दिनमे ई अपन अन्य संस्थापक सदस्यसभसँ कम सम्पर्कमे छल , मुदा श्री अभय कुमार लाल दास जीसँ सम्पर्क , जे लगातार २५ वर्षसँ निर्विवाद सचिव छथि , शायद सभसँ पारिवारिक सम्बन्धक कारण , दोसर कारण – १. जतय अहाँक रुचि गतिविधि सँ मिलैत अछि, अहाँ ओकरा संग सहयोग करैत छी- ई एकटा स्वीकृत तथ्य अछि ।

एखन धरि ई संस्था सशक्त भऽ गेल छल, आ एकर मुख्य उद्देश्य मिथिलाक सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक कार्य करब अछि, मुदा एहि क्षेत्र सभक उत्थान आ संरक्षणक उद्देश्य जानि हम प्रभावित भेलहुँ। पहिने हम हिन्दी लिखैत छलहुँ आ कनी-मनी गबैत छलहुँ, शायद इएह कारण होइत जे हम हुनका सभसँ जुड़ि जाइत छलहुँ ।

जखन हम एहि संस्था सँ जुड़ल रही तखन मैथिली एकदम नहि लिखलहुँ – श्री अभय जी केर एकटा बात पर “अहाँ मैथिली नहि लिखब तखन मैथिली मे लिखय लेल कोनो बाहरी लोक नहि आओत” सँ बहुत बेसी प्रभाव पड़लनि। ई समस्या बनि गेल मुदा श्री अधीर कुमार मल्लिक जी (जे पहिने सँ मिथिलांगनक सक्रिय सदस्य छथि) केर सहयोग सँ मैथिली मे किछु लिखि सकलहुँ – जे किछु हिन्दी मे लिखैत छलहुँ, श्री मल्लिक एकर अनुवाद करैत छलाह मैथिली आ ओकर भाषा मे सुधार करब।

मैथिली मे मान्यता देबय बला एहि संस्था के प्रति आभार व्यक्त करैत छी। मिथिलांगन के सहयोग स हम मैथिली भोजपुरी अकादमी, मुंबई लिट फेस्ट विद हिंदी अकादमी सहित विभिन्न चरण तक पहुंच सकलौं, एम्हर हमर दू टा कविता संग्रह सेहो एतय प्रकाशित भेल अछि। ई सर्वाधिक प्रशंसनीय अछि जे ई संस्था निरंतर नव आगंतुक लोकनिक स्वागत करैत रहल अछि आ हुनका लोकनिक अंतर्निहित गुण/कला केँ आगू बढेबा मे मदद केलक अछि। मैथिलीक कतेको नामी कलाकार आ मास्टरो मिथिलांगनक उपज छथि से कहब अतिशयोक्ति नहि होयत।

एतय प्रत्येक सदस्य एकटा मार्गदर्शक छथि जाहि मे एकटा कलाकार छथि । शारीरिक रूप स नहि बल्कि दूर रहला स पहिने अपन विचार पर सहमत भ जाइत छी आ ओकर बाद बेसी स बेसी लागू भ जाइत अछि। एहि स एहि कलाकार सब कए साल भरि मे आयोजित कईटा नियमित आयोजन मे अपन प्रस्तुति देबाक अवसर भेटैत अछि ।

मिथिलांगन अन्तर्गत लेखन, प्रकाशन, संगीत, नाट्य मंच, मधुबनी चित्रकला, पेपरमासी आदि समय-समय पर कयल जाइत अछि। एकर अपन त्रैमासिक पत्रिका सेहो अछि जे शुरू मे हस्तलिखित होबय लागल आ बाद मे छपय मे चलि गेल, एखनो एकटा घरक पत्रिका बहुत दिन धरि प्रकाशित होइत रहल।

एकरा सब्सक्राइब करबा मे कियो बाधित नहि अछि, बस शर्त पूरा करबाक लेल किछु साधारण प्रतिज्ञा देल जाइत अछि आ अर्थात – अहाँ केँ कोनो तीन टा वर्किंग ऑर्डर सँ जुड़य पड़त जे अहाँ मे कोनो तरहक सहभागिता भ’ सकैत अछि – मंच प्रतिभागी वा दर्शक विधा सँ। दोसर ई जे मैथिली भाषाकेँ अपन कार्यक्षेत्रमे जाहि तरहेँ आबैए , अर्थात संवादक माध्यमक केन्द्र मात्र आ मात्र मैथिली होएबाक चाही।

आ यैह सँ एहि नामक अर्थ होइत छैक। एतय सँ एकर तेज, यश, लोकप्रियता सेहो आरम्भक संग उपलब्धिक साधन थिक। हमर इच्छा अछि जे ई संस्था निरन्तर हरियर रहय।

मिथिलांगन के बारे मे संस्थापक सदस्य कहब की

मिथिलांगन केना शुरू भेलमुकेश दत्त

फरवरी 1992 (वसंत ऋतु) मे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली मे किछु मैथिल भाषी युवा एकत्रित भेलाह जे मैथिली भाषी लेल मिथिलाक सांस्कृतिक, साहित्यिक, आ सामाजिक प्रचार-प्रसार लेल एकटा संस्था बनौलनि, जकर नाम छल – * मिथिलांगन * .

‘मिथिलांगन’ एहन संस्था अछि जे मिथिलाक संस्कृतिक विकासक प्रति शत्रुतापूर्ण अछि। अपन दृष्टि मे मिथिला महान दृष्टिक द्योतक अछि। अपन पहिचानक प्रति सजग ‘मिथिलांगन’ स्मृतिहीन समाजकेँ जड़ि धरि लऽ जेबाक साहस कय रहल अछि। साहित्य, संगीत, कला, पत्रकारिता, समाज कल्याण, चलचित्र, रंगमंच, व्यापार, नौकरशाही आदि क्षेत्रसँ सम्बन्धित प्रवासी गुणीताक सक्रिय मार्गदर्शनसँ सिंचित ई संस्था अपन वैश्विक पदचिह्न बनौने अछि।

अपन सत्ताइस वर्षक वायरल यात्रामे डेग-डेग बढ़ैत ई संस्था अपन नामक प्रतीक बनि मिथिला समाजक लेल साहित्यिक, सामाजिक आ सांस्कृतिक क्षेत्रमे एकसँ बढिकय एक काज कएने अछि। एकर बढैत पायदान देखि कतेको व्यक्ति आ संस्था प्रभावित भऽ मिथिलांगनक अनुयायी बनि गेल छथि।

अपन नामक अनुसार ‘मिथिलांगन’ अपन परिप्रेक्ष्य मे मिथिलाक समस्त भाषा साहित्य आ संस्कृति केँ समेटने अछि, जे सांसारिक जीवन सँ जुड़ल अछि। अपन लक्ष्य प्राप्त करबाक लेल ई संस्था समाज केँ नव दिशा देबाक लेल निरन्तर प्रयासरत अछि।

मिथिलांगन सन स्वस्थ, सुखद, सुचारू, आत्मनिर्भर संस्था सँ जुड़ब हमरा लेल गौरवक क्षण छल। एकरा सॅं जुड़ब हमरा लेल नव जन्म जकाँ छल । ई संस्था खास कऽ एकर संस्थापक सचिव श्री अभय कुमार लाल दास जी हमरा आँगुर पकड़ने लेखक , कलाकार , सम्पादकक रूपमे सम्हारलनि। एकर आँगन मे पोसैत एकटा नव पहिचान भेटल। सब आजीवन सदस्य सदिखन हमरा संग एकटा मार्गदर्शक के रूप में ठाढ़ रहैत छथि। भगवान् अहि संस्था के निरन्तर प्रगतिशील राखथि।